📝 बिहार बोर्ड कक्षा 10 - 2026 बोर्ड परीक्षा
7 अति महत्वपूर्ण निबंध (800 शब्द)
📋 परीक्षा पैटर्न:
✅ निबंध: 7-10 अंक | शब्द सीमा: 800 शब्द
📌 कुल 7 निबंध - पहली और दूसरी श्रेणी
प्रस्तावना: बेरोजगारी आज भारत की सबसे गंभीर समस्याओं में से एक है। शिक्षित युवाओं के पास डिग्रियां तो हैं लेकिन रोजगार के अवसर सीमित हैं। यह समस्या न केवल आर्थिक बल्कि सामाजिक और मानसिक स्तर पर भी व्यक्ति को प्रभावित करती है।
बेरोजगारी के कारण: बेरोजगारी के मुख्य कारणों में जनसंख्या वृद्धि, अपर्याप्त शिक्षा व्यवस्था, और उद्योगों की कमी शामिल है। भारत में हर साल लाखों युवा स्नातक होते हैं लेकिन उनके लिए पर्याप्त नौकरियां उपलब्ध नहीं हैं। इसके अलावा तकनीकी शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण की कमी भी एक प्रमुख कारण है। गांवों से शहरों की ओर पलायन से भी समस्या बढ़ती है।
समाधान: इस समस्या का समाधान बहुआयामी होना चाहिए। सरकार को स्टार्टअप और लघु उद्योगों को बढ़ावा देना चाहिए। कौशल विकास कार्यक्रमों को मजबूत करना आवश्यक है ताकि युवा स्व-रोजगार के लिए तैयार हो सकें। साथ ही शिक्षा प्रणाली को व्यावहारिक और रोजगार-उन्मुख बनाना होगा। विश्वविद्यालयों को उद्योगों से जोड़ना चाहिए।
कृषि क्षेत्र का आधुनिकीकरण और ग्रामीण इलाकों में उद्योगों की स्थापना से भी रोजगार के अवसर बढ़ सकते हैं। डिजिटल युग में फ्रीलांसिंग और ऑनलाइन व्यवसाय भी रोजगार के नए माध्यम बन गए हैं। युवाओं को इन क्षेत्रों में प्रशिक्षण देना आवश्यक है। सरकारी और निजी क्षेत्र को मिलकर रोजगार सृजन पर काम करना होगा।
उपसंहार: बेरोजगारी से निराशा और अपराध बढ़ते हैं। युवा शक्ति का सही उपयोग न होने से देश का विकास रुक जाता है। इसलिए सरकार, उद्योगपति और समाज सभी को मिलकर इस समस्या का समाधान करना होगा। शिक्षा में सुधार, व्यावसायिक प्रशिक्षण, और उद्यमिता को बढ़ावा देकर ही हम बेरोजगारी की समस्या को कम कर सकते हैं।
प्रस्तावना: समय अनमोल है और जीवन में इसका सही उपयोग ही सफलता की कुंजी है। जो व्यक्ति समय का सम्मान करता है, वह जीवन में हर क्षेत्र में आगे बढ़ता है। समय एक बार चला जाए तो वापस नहीं आता इसलिए इसका सदुपयोग करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। कहा भी गया है - "समय और ज्वार किसी की प्रतीक्षा नहीं करते"।
विद्यार्थी जीवन में समय का महत्व: विद्यार्थी जीवन में समय प्रबंधन सबसे आवश्यक कौशल है। जो छात्र अपने समय का सही उपयोग करते हैं, वे पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद और अन्य गतिविधियों के लिए भी समय निकाल पाते हैं। समय पर पढ़ाई करने से परीक्षा के समय तनाव नहीं होता और अच्छे अंक प्राप्त होते हैं। जो विद्यार्थी समय बर्बाद करते हैं वे बाद में पछताते हैं।
महान लोगों का उदाहरण: महान लोगों की सफलता का रहस्य भी समय का सदुपयोग रहा है। महात्मा गांधी, डॉ. भीमराव अंबेडकर, और स्वामी विवेकानंद जैसे महापुरुषों ने अपने समय का हर पल देश और समाज की सेवा में लगाया। उनकी दिनचर्या अनुशासित थी और वे कभी समय बर्बाद नहीं करते थे। उन्होंने अपने जीवन में जो कुछ भी हासिल किया वह समय के सदुपयोग से ही संभव हुआ।
आधुनिक युग में समय का दुरुपयोग: आज के युग में समय की बर्बादी एक बड़ी समस्या बन गई है। मोबाइल फोन और सोशल मीडिया पर युवा घंटों बिता देते हैं। यह समय का दुरुपयोग है। हमें एक समय सारणी बनाकर प्रत्येक कार्य के लिए निश्चित समय निर्धारित करना चाहिए। प्रातःकाल जल्दी उठना, नियमित व्यायाम करना, और समय पर सोना अच्छे स्वास्थ्य और सफलता के लिए आवश्यक है।
उपसंहार: समय का मूल्य समझने वाला व्यक्ति जीवन में कभी असफल नहीं होता। जो आज का काम कल पर टालता है वह कभी सफल नहीं हो सकता। इसलिए हमें हर पल का सदुपयोग करना चाहिए और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहना चाहिए। समय ही जीवन है और इसका सम्मान करना हमारा कर्तव्य है।
प्रस्तावना: दहेज प्रथा भारतीय समाज में एक गंभीर सामाजिक बुराई है। विवाह के समय लड़की के परिवार से धन, आभूषण, वाहन और अन्य सामान की मांग की जाती है। यह कुप्रथा लड़कियों के अभिभावकों के लिए भारी बोझ बन जाती है और कई बार तो दहेज न मिलने पर नववधू को प्रताड़ित किया जाता है। यहां तक कि दहेज के लिए हत्याएं भी होती हैं।
दहेज प्रथा के दुष्परिणाम: दहेज प्रथा के कारण समाज में लड़कियों को बोझ समझा जाने लगा है। कई परिवार कन्या भ्रूण हत्या तक कर देते हैं क्योंकि उन्हें भविष्य में दहेज देने का भय होता है। यह मानवता के लिए शर्मनाक है। शिक्षित परिवारों में भी यह कुरीति जारी है जो चिंताजनक है। समाज में लिंग अनुपात बिगड़ने का यह भी एक कारण है।
कानूनी प्रावधान: इस बुराई को समाप्त करने के लिए कानून भी बनाए गए हैं। दहेज निषेध अधिनियम 1961 के तहत दहेज लेना और देना दोनों अपराध है। लेकिन फिर भी यह प्रथा जारी है क्योंकि लोग कानून की परवाह नहीं करते और सामाजिक दबाव भी बहुत होता है। दहेज मामलों में सख्त सजा का प्रावधान होना चाहिए।
समाधान: समाज को जागरूक करना अत्यंत आवश्यक है। लड़कियों को शिक्षित और आत्मनिर्भर बनाना चाहिए। जब महिलाएं आर्थिक रूप से स्वतंत्र होंगी तो दहेज प्रथा अपने आप समाप्त हो जाएगी। युवाओं को आगे आकर दहेज विरोधी आंदोलन में भागीदारी करनी चाहिए और बिना दहेज के विवाह करने का संकल्प लेना चाहिए।
उपसंहार: दहेज प्रथा केवल आर्थिक समस्या नहीं बल्कि मानसिक और सामाजिक समस्या भी है। इसे जड़ से समाप्त करने के लिए सामूहिक प्रयास आवश्यक है। शिक्षा, जागरूकता और कड़े कानूनों के माध्यम से ही हम इस कुरीति को समाप्त कर सकते हैं।
प्रस्तावना: होली रंगों का त्योहार है जो फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह भारत के सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है। होली खुशी, उल्लास और भाईचारे का प्रतीक है। इस दिन सभी लोग एक-दूसरे को रंग और गुलाल लगाते हैं। यह त्योहार वसंत ऋतु के आगमन का संकेत भी है।
होली की पौराणिक कथा: होली से जुड़ी पौराणिक कथा भक्त प्रह्लाद और होलिका की है। प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप ने उसे मारने के लिए होलिका को आग में बैठने को कहा था। लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच गया और होलिका जल गई। इस घटना की याद में होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
होली मनाने का तरीका: होली के दिन घरों में विशेष पकवान बनाए जाते हैं। गुजिया, मालपुआ, और ठंडाई होली की विशेष मिठाइयां हैं। लोग अपने पुराने झगड़े भूलकर गले मिलते हैं। यह त्योहार समाज में प्रेम और सद्भाव बढ़ाता है। छोटे-बड़े सभी लोग मिलकर होली खेलते हैं जिससे सामाजिक समानता की भावना बढ़ती है।
सावधानियां: हालांकि आजकल रासायनिक रंगों के प्रयोग से स्वास्थ्य को नुकसान होता है। हमें प्राकृतिक रंगों का उपयोग करना चाहिए। साथ ही होली खेलते समय किसी की मर्जी के विरुद्ध रंग नहीं लगाना चाहिए। पानी की बर्बादी से भी बचना चाहिए और सूखी होली खेलनी चाहिए। पर्यावरण के प्रति जागरूक रहते हुए ही हमें त्योहार मनाना चाहिए।
उपसंहार: होली केवल एक त्योहार नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति का प्रतीक है। यह त्योहार हमें प्रेम, भाईचारा और एकता का संदेश देता है। इसे सही तरीके से मनाकर हम अपनी परंपरा को जीवित रख सकते हैं।
प्रस्तावना: भ्रष्टाचार का अर्थ है गलत तरीके से धन या सुविधाएं प्राप्त करना। यह देश के विकास में सबसे बड़ी बाधा है। जब सरकारी अधिकारी और नेता अपने पद का दुरुपयोग करते हैं तो जनता को नुकसान होता है। भ्रष्टाचार से देश की अर्थव्यवस्था कमजोर होती है और गरीबी बढ़ती है।
भ्रष्टाचार के प्रकार: भ्रष्टाचार के कई रूप हैं जैसे रिश्वतखोरी, घूसखोरी, कालाबाजारी, और सरकारी धन का दुरुपयोग। स्कूलों में प्रवेश से लेकर अस्पताल में इलाज तक हर जगह रिश्वत मांगी जाती है। सरकारी योजनाओं का पैसा बीच में ही रुक जाता है और जरूरतमंद लोगों तक नहीं पहुंचता। निर्माण कार्यों में घटिया सामग्री का उपयोग किया जाता है।
भ्रष्टाचार के कारण: भ्रष्टाचार की जड़ें समाज में गहरी हैं। लालच, नैतिक मूल्यों की कमी, और कानून का कमजोर होना इसके मुख्य कारण हैं। जब अपराधियों को सजा नहीं मिलती तो भ्रष्टाचार बढ़ता है। राजनीतिक संरक्षण भी इसे बढ़ावा देता है। शिक्षा प्रणाली में नैतिक शिक्षा का अभाव भी एक कारण है।
समाधान: इस समस्या से निपटने के लिए कठोर कानून बनाने चाहिए। लोकपाल जैसी संस्थाओं को मजबूत करना होगा। डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने से भ्रष्टाचार कम किया जा सकता है। लेकिन सबसे जरूरी है नागरिकों में ईमानदारी और जिम्मेदारी की भावना जागृत करना। हमें छोटे स्तर पर भी रिश्वत देना और लेना बंद करना होगा।
उपसंहार: भ्रष्टाचार मुक्त भारत का सपना तभी साकार हो सकता है जब प्रत्येक नागरिक इसके खिलाफ संकल्प ले। सरकार, न्यायपालिका और समाज सभी को मिलकर इस बुराई से लड़ना होगा। पारदर्शिता और जवाबदेही से ही भ्रष्टाचार को समाप्त किया जा सकता है।
प्रस्तावना: बाल मजदूरी एक गंभीर सामाजिक समस्या है। छोटे बच्चों से कम मजदूरी पर काम करवाना कानूनी अपराध है। 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को स्कूल में होना चाहिए लेकिन गरीबी के कारण वे होटलों, कारखानों, और घरों में काम करते हैं। यह उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ है।
बाल श्रम के कारण: बाल श्रम के कई कारण हैं। परिवार की गरीबी मुख्य कारण है। जब माता-पिता अपने परिवार का भरण-पोषण नहीं कर पाते तो बच्चों को काम पर भेज देते हैं। शिक्षा की कमी और जागरूकता न होना भी कारण है। कुछ मालिक सस्ते में काम करवाने के लालच में बच्चों को रखते हैं। बच्चे विरोध नहीं कर पाते और शोषण का शिकार होते हैं।
बाल मजदूरी के दुष्परिणाम: बाल मजदूरी से बच्चों का भविष्य बर्बाद हो जाता है। उन्हें शिक्षा नहीं मिल पाती जिससे वे जीवन भर गरीबी में फंसे रहते हैं। कठिन परिश्रम से उनका शारीरिक और मानसिक विकास रुक जाता है। कई बच्चे दुर्घटनाओं के शिकार भी होते हैं। उन्हें बचपन का सुख नहीं मिल पाता और वे खेलकूद से वंचित रह जाते हैं।
समाधान: सरकार ने बाल श्रम निषेध कानून बनाया है लेकिन इसका कड़ाई से पालन नहीं होता। जागरूकता अभियान चलाने और गरीब परिवारों को आर्थिक सहायता देने से इस समस्या को कम किया जा सकता है। शिक्षा को मुफ्त और अनिवार्य बनाना जरूरी है। समाज के सभी वर्गों को मिलकर बाल श्रम के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।
उपसंहार: बच्चे राष्ट्र का भविष्य हैं। उन्हें शिक्षा और स्वस्थ वातावरण देना हमारी जिम्मेदारी है। बाल मजदूरी को समाप्त करके ही हम एक समृद्ध और विकसित राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं।
प्रस्तावना: जातिवाद भारतीय समाज में सदियों से चली आ रही एक कुरीति है। जाति के आधार पर लोगों में भेदभाव किया जाता है जो लोकतंत्र और समानता के सिद्धांतों के विरुद्ध है। आज भी कई स्थानों पर निचली जाति के लोगों को अपमान और उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। यह मानवता के लिए शर्मनाक है।
जातिवाद की उत्पत्ति: जातिवाद की उत्पत्ति प्राचीन वर्ण व्यवस्था से हुई थी जो कर्म पर आधारित थी। लेकिन समय के साथ यह जन्म आधारित बन गई और समाज में विभाजन का कारण बनी। इससे सामाजिक असमानता और अन्याय बढ़ा। शिक्षा, रोजगार, और सामाजिक अधिकारों में भेदभाव होने लगा। निचली जातियों को मंदिरों में प्रवेश और शिक्षा से वंचित रखा गया।
संवैधानिक प्रावधान: भारतीय संविधान में सभी नागरिकों को समान अधिकार दिए गए हैं। जाति आधारित भेदभाव को अपराध घोषित किया गया है। आरक्षण की व्यवस्था से पिछड़े वर्गों को विकास का अवसर मिला है। लेकिन अभी भी मानसिकता में बदलाव की जरूरत है। गांवों में आज भी जाति आधारित भेदभाव जारी है।
समाधान: जातिवाद को समाप्त करने के लिए शिक्षा सबसे बड़ा हथियार है। अंतर्जातीय विवाह को प्रोत्साहन देना चाहिए। युवा पीढ़ी को जाति के बंधनों से मुक्त सोच के साथ बड़ा होना चाहिए। समाज में भाईचारा और समानता की भावना विकसित करनी होगी। मीडिया और शिक्षा संस्थानों को इस दिशा में सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिए।
उपसंहार: जातिवाद एक मानसिक बीमारी है जो समाज को कमजोर करती है। इसे समाप्त करने के लिए कानून के साथ-साथ सामाजिक जागरूकता भी आवश्यक है। जब हम जाति के आधार पर नहीं बल्कि योग्यता के आधार पर लोगों को परखेंगे तभी सच्चा विकास संभव होगा।
🎉 सभी 7 निबंध पूर्ण!
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📝 प्रत्येक निबंध 800 शब्द | 7-10 अंक
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